मैं उन दिनों हॉस्टल में दोस्तों के साथ खूब मस्ती किया करता था। कॉलेज के दिन वैसे भी बड़े मज़ेदार होते हैं। दोस्तों का झुंड हमेशा साथ रहता, न समय की परवाह होती, न किसी रोक-टोक की चिंता। बेफिक्री और हँसी के धुएँ से पूरा कैंपस गूंजता रहता।
एक रात, हम सब राजू के कमरे में जमा थे। ओल्ड मंक की आखिरी बूंद तक सब कुछ खत्म हो गया। तभी किसी ने कहा,
"अरे, मेरे बेड के नीचे एक बोतल है… लेकिन उसके लिए स्टोर रूम से होकर जाना पड़ेगा, जहाँ खिड़कियों से अजीब आवाजें आती हैं।"
किसी जूनियर को भेजने की बात चली। मैं पहले थोड़ा हिचकिचाया, फिर हँसते हुए मान गया।
"क्या होगा ज़्यादा से ज़्यादा? कोई आवाज़ तो यही लोग निकालेंगे।"
जैसे ही मैं निकला, हमारे ग्रुप का एक सीनियर चुपचाप मेरे पीछे हो लिया और दरवाज़े के पीछे छिप गया।
जब मैं स्टोर रूम पहुँचा, तो मुस्कुराते हुए पीछे मुड़ा क्योंकि मुझे लगा कोई आवाज़ जरूर लगाएगा।
उन दिनों किसी के पास मोबाइल नहीं था। हॉस्टल में जगह-जगह एक-दो लैंडलाइन फोन लगे थे। लेकिन मुझे स्टोर रूम के अंदर से घंटी की आवाज़ सुनाई दी।
अजीब बात यह थी कि वहां कभी फोन रहा ही नहीं।
मैं आगे बढ़ता रहा। तभी अचानक किसी ने मुझे ज़ोर का धक्का दिया।
मैं गुस्से में पीछे मुड़ा — कोई नहीं था।
मुझे यकीन था कि ये सब उस सीनियर की शरारत है।
पर जब मैं वापस पहुँचा, मुझे बहुत तेज़ डर महसूस हुआ…
क्योंकि सारे लड़के राजू के कमरे में सो चुके थे।
सिर्फ एक-दो लोग बाहर सिगरेट पी रहे थे… और वो सीनियर?
वो हाँफते हुए टॉयलेट की तरफ़ से लौट रहा था।
उसने कहा,
"भाई, मैं डर गया था… आधे रास्ते से ही वापस लौट आया।"
मैं तीन साल तक उस स्टोर रूम के पास नहीं गया।
बाद में मुझे पता चला कि हॉस्टल के पीछे के गांव में कई सालों से चुड़ैल का साया बताया जाता है।
******मैं हॉस्टल का नाम नहीं बताऊँगा… वरना लोग वहां एडमिशन लेना बंद कर देंगे।
और मेरी मानिए, ज़िंदगी में अच्छे दोस्त मिलना बहुत जरूरी होता है —
मेरे पापा यही कहा करते थे।
भूता गप्पा अब हिंदी में - प्रेॉर्डर नाउ 💀💀💀💀
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